अपने बयानों के अक्सर विवादों में रहने वाले भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा ही संगीन आरोप लगाया है।
भाजपा नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी उन नेताओं में शुमार हैं जो सच बोलते समय अपनों का भी ख्याल नहीं रखते हैं। स्वामी ने अपनी ही पार्टी बेजीपी पर निशाना साधते हुए सनसनीखेज खुलासा किया है। स्वामी ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के अधिकारियों पर बेहतर आर्थिक आंकड़े देने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है।
स्वामी का आरोप है कि केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) ने GDP के जो बेहतरीन आंकड़े जारी किए थे, दरअसल वे मोदी सरकार के दबाव का परिणाम थे। ताकि देश में यह संदेश जाए कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था और जीडीपी विकास दर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यह गंभीर आरोप स्वामी ने शनिवार को गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को संबोधित करते हुए लगाया। इस दौरान स्वामी ने कहा कि सीएसओ के आला अधिकारियों पर जीडीपी के अच्छे आंकड़े दिखाने का दबाव था।
स्वामी ने कहा, 'आप लोग कृपया करके जीडीपी के तिमाही आंकड़ों पर ना जाएं, ये सब फर्जी हैं। मैं बताया चाहूंगा कि मेरे पिताजी ने सीएसओ की स्थापना की थी।'
ऐसा इसलिए क्योंकि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है, ये आम लोगों को दिखाया जा सके। स्वामी ने खुलकर सीएसओ के आंकड़ों को फर्जी बताया।
इतना ही नहीं सुब्रमण्यम स्वामी में तमिलनाडु के आर के नगर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को एक चौथाई नोटा वोट मिलने पर भी सवाल खड़ा किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते बीजेपी की जवाबदेही बनती है।
भले सुब्रमण्यम स्वामी के बयान को राजनीतिक नजरिए से देखा जा रहा हो। बावजूद एक जिम्मेदार व्यक्ति के इन आरोपों पर विपक्ष के नेता जांच करवाए जाने की मांग करने लगे हैं।
भाजपा सांसद ने आगे कहा, 'मैं हाल ही में केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा के साथ सीएसओ गया था। गौड़ा ने सीएसओ के अधिकारी को तलब किया। ऐसा इसलिए क्योंकि नोटबंदी के बाद अच्छे आंकड़े पेश करने का दबाव था। इस वजह से ऐसे आंकड़े जारी किए गए ताकि लगे कि नोटबंदी का कोई प्रभाव नहीं हुआ।'
स्वामी यहीं पर नहीं रूके। उन्होंने कहा, मैं बेचैन महसूस कर रहा था। क्योंकि मुझे पता था कि नोटबंदी का प्रभाव तो पड़ा है।' इसके साथ ही स्वामी ने आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी करने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए।
कार्यक्रम में उन्होंने विदेशी रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्ट पर भी सवालिया निशान लगाया। उन्होंने कहा, 'आप लोग इन मूडी और फिच की रिपोर्ट्स पर भरोसा नहीं करना। इन्हें तो पैसे देकर किसी भी तरह की रिपोर्ट तैयार करवा सकते हैं।'
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