Monday, June 5, 2017

Google देगा सवा करोड़ रुपये का प्राइज Android OS में बग ढूंढने वाले को

गूगल ने अपने एंड्रॉयड फोन में बग खोजने वाले को बंपर इनाम देने की घोषणा की है।

हालांकि कंपनी ने अपने ओएस को और अधिक सुरक्षित बनाने तथा ज्यादा से ज्यादा शोधकर्ताओं और इंजीनियरों को जोड़ने के लिए इनाम की राशि बढ़ाकर 2 लाख डॉलर कर दी है।
गूगल ने इनाम देने के कार्यक्रम की शुरुआत दो साल पहले की थी। अभी तक कोई भी यह इनाम नहीं जीत सका है।चेक प्वाइंट के मुताबिक दुनिया भर के करोंडो फोन इन मालवेयर की चपेट में आ सकते हैं। भारत भी इस बग से अछूता नहीं है। इसलिए कंपनी जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान ढूंढ़ रही है। जूडी मालवेयर साइबर हमलावरों द्वारा बनाया गया एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो अपने चपेट में आए स्मार्टफोन की सहायता से इसमें मौजूद एडवरटिजमेंट पर जबर्दस्त फर्जी क्लिक करवाता है, ताकि इसे बनाने वाली कंपनियों को फायदा हो सके।

जूडी’ नाम के मालवेयर से 3.65 करोड़ एंड्रायड फोन के प्रभावित होने के एक दिन बाद ही गूगल ने एंड्रायड ओएस में बग ढूंढने वाले को दिए जाने वाले इनाम को बढ़ाकर 2 लाख डॉलर कर दिया है। साइबर सुरक्षा फर्म चेक प्वाइंट के मुताबिक, प्ले स्टोर से दर्जनों मालवेयर एप 45 लाख से 1.85 करोड़ बार तक डाउनलोड किए गए। इनमें से कई मालवेयर एप तो कई सालों से प्ले स्टोर पर हैं। प्रौद्योगिकी वेबसाइट एक्सट्रीमटेक डॉट कॉम की शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल में मालवेयर और सुरक्षा उल्लंघन की ज्यादातर घटनाएं पुराने ओएस बिल्ड वाले फोन में पाई गई है। एंड्रायड के नवीनतम संस्करण सुरक्षित हैं, खतरा उन ऑपरेटिंग सिस्टम्स को है जिसे गूगल ने सालों पहले विकसित किया था। इसलिए अभी तक गूगल के नए एंड्रायड में कोई भी बग ढूंढकर इनाम पाने में सक्षम नहीं हुआ है।

बता दें कि चेक प्वाइंट के कहने पर गूगल ने मालवेयर से जुड़े सारे एप को हटाने का फैसला लिया है। जूडी मालवेयर से पहले दुनिया में वॉनाक्राइ नाम के वायरस ने हलचल मचा दी थी। इस वायरस ने कई पश्चिमी देश आए थे। इस कम्प्यूटर वायरस के हमले की वजह से ब्रिटेन में अस्पताल सेवाएं भी प्रभावित हुईं थी।

Thursday, June 1, 2017

भारत में बिटक्वाइन की बढ़ रही स्वीकार्यता, RBI दे चुका है चेतावनी

भारतीय रिजर्व बैंक की चेतावनी के बावजूद 2,500 से ज्यादा लोग रोजाना डिजिटल मुद्रा Bitcoin (बिटक्वाइन) में निवेश कर रहे हैं। एक घरेलू बिटकॉइन एक्सचेंज के अनुसार इसे डाउनलोड करने वालों की संख्या पांच लाख तक पहुंच गई है। एप आधारित बिटकॉइन एक्सचेंज, जेबपे ने बयान में कहा कि एंड्राएड प्लेटफॉर्म पर उसके डाउनलोड की संख्या पांच लाख से ऊपर पहुंच गई है और इसमें हर दिन 2,500 से ज्यादा इजाफा हो रहा है।

कंपनी ने कहा कि इससे यह पता चलता है कि बिटकॉइन को लोग स्वीकार कर रहे हैं। कंपनी ने 2015 में ही अपना परिचालन शुरू किया है। आपको बता दें कि
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कई बार बिटक्वॉइन जैसी डिजिटल करंसी के इस्तेमाल पर अपनी चिंताएं व्यक्त कर चुका है। बिटकॉइन जैसी ऐप में पैसा डालने से वित्तीय, कानूनी, ग्राहक सुरक्षा और सुरक्षा संबन्धी मुद्दों पर गंभीर खतरा हो सकता है।
डिजिटल भारत ?

 
क्या है बिटकॉइन:
बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव डिजिटल टेक्नोलॉजी या वर्चुअल करेंसी है। इसको 2008-2009 में सतोशी नाकामोतो नामक एक सॉफ्टवेयर डे़वलपर, प्रचलन में लाया था। कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्थता के ट्रांजैक्शन किया जा सकता है। वहीं, इस डिजिटल करेंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है।
खबरों के मुताबिक भारत में एक बिटकॉइन की कीमत लगभग 1 लाख 20 हजार रुपए है। इसलिए इसे महंगी करेंसी भी कहा जाता है। कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्थता के लेन-देन किया जा सकता है। बिटकॉइन का फायदा यह रहता है कि इसमें लेन-देन गुमनाम रहता है।

बिटकॉइन का निर्माण जटिल कम्प्यूटर एल्गोरिथम्स और कम्प्यूटर पावर से किया जाता है जिसे माइनिंग कहते हैं। इस करंसी को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है। जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है।
भारत में कई वॉलेट कंपनी वर्चुअल करेंसी खरीदने के लिए अपना प्लेटफॉर्म मुहैया कराती हैं। पिछले एक महीने में देश के तीन बिटकॉइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स- जेबपे, यूनोकॉइन और कॉइनसिक्योर के नए यूजर्स में अच्छी बढ़ोतरी हुई है।
क्या है बिटकॉइन की खूबियांः
बिटकॉइन से इंटरनेट पर आसानी से दो लोगों के बीच ट्रांजैक्शन किया जा सकता है। इस ट्रांजेक्शन में शामिल दोनों लोगों के बीच जान पहचान होना जरूरी नहीं है। ना ही इस ट्रांजेक्शन को पूरा करने के लिए सरकार, बैंक अथवा किसी एजेंसी की जरूरत पड़ती है। एक बार बिटकॉइन के माध्यम से ट्रांजेक्शन हो जाने के बाद इसे कैंसिल नहीं किया जा सकता। इस ट्रांजेक्शन को कुछ सेकेंड में अंजाम दिया जा सकता है और ट्रांजेक्शन होते ही बिटकॉइन दूसरे ट्रांजेक्शन को भी तुरंत करने के लिए उपलब्ध रहता है।
अभी हाल ही में दुनिया भर में रैनसमवेयर साइबर अटैक ‘वाना-क्राई’ की खबर आई और इसकी चपेट में लगभग 100 देश के कम्प्यूटर थे। उनको अनलॉक करने के लिए फिरौती की रकम भी बिटकॉइन के रूप में मांगी गई।
सरकार ने कहा है अवैधः
हालांकि वर्चुअल करेंसी को ना तो सरकार, ना ही रिजर्व बैंक ने कोई मान्यता दी है। वर्चुअल करेंसी बिटकॉइन निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। फरवरी 2016 में बिटकॉइन की कीमत जहां 25000 रुपये थी, 


वहीं अभी इसकी कीमत करीब 1,23,500 रुपये ($1,900) है।

इस वर्ष सरकार ने मार्च महीने में कहा था कि बिटक्वॉइन में पैसा डालना अवैध है। इसे रिजर्व बैंक की अनुमति नहीं है।
इसमें पैसा डालने पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस हो सकता है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक तरह की पोंजी स्कीम है जिसमें निवेशकों के साथ धोखा हो सकता है।
बिटकॉइन को कानूनी दर्जा देने की तैयारीः
बिटकॉइन को सरकार कानूनी दर्जा देने की तैयारी में है। जानकारी के मुताबिक सरकार इसे कानून के दायरे में लाकर टैक्स लगाना चाहती है। आरबीआई, वर्चुअल करेंसी में निवेश और लेनदेन पर विस्तृत गाइडलाइन तैयार करेगा।
वर्चुअल करेंसी को रिजर्व बैंक एक्ट 1934 के दायरे में लाया जा सकता है।
सरकार के इतर, व्यवसायिक घराने भी बिटकॉइन के प्रयोग पर गंभीरता से विचार विमर्श कर रहे हैं।