Monday, July 31, 2017

मेरा देश बदल रहा है,पहले वोटर खरीदे जाते थे अब सीधे एमपी, एमएलए और सीएम तक खरीदे जा रहे हैं : सोशल मीडिया

बिहार के सियासी आयाम अब बदल चुके हैं। लालू और महागठबंधन का साथ छोड़ नीतीश कुमार का भाजपा के साथ जाना सोशल मीडिया पर लोगों को रास नहीं आ रहा है। सोशल मीडिया पर लोग जमकर नीतीश कुमार पर कटाक्ष कर रहे हैं।
लोगों का प्रतिक्रिया सामने आ रही है.
दरअसल नीतीश कुमार ने नए मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर किया था। जिसपर लोगों ने अपने ही अंदाज़ में नीतीश की खिचाई की। किसी ने उन्हें धोखेबाज बताया तो कोई उन्हें गिरगिट का नेता बता रहा है।
तस्वीरें साझा करते हुए नीतीश ने लिखा, शपथग्रहण समारोह में सम्मिलित होते हुए। फिर क्या था, लोगों ने उनकी पोस्ट पर चुटकी लेनी शुरू कर दी।
नीतीश कुमार की राजनीति में आये बदलाव पर मनोज कुमार ने लिखा `सर सुना है आपके रंग बदलने की कला देखते हुए गिरगिटों ने भी आपको अपना नेता चुन लिया है`।
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर अमित लिखते हैं, मेरा देश बदल रहा है,पहले वोटर खरीदे जाते थे अब सीधे एमपी, एमएलए और सीएम तक खरीदे जा रहे हैं।
बालेन्द्र कुमार ने  नीतीश से सवाल करते हुए लिखा,  गुस्सा मत कीजियेगा। गुस्ताखी माफ करना सर जी, आप ये बताएं कि आपके मंत्री मंडल में कितने मंत्री जी पर एफ आई आर दर्ज है या सभी दूध के धुले हैं।
अनाम कुमार सुल्तान ने नीतीश को नया नाम देते हुए लिखा, इस पोस्ट पर कमेंट पढ़ कर लग रहा है कुर्सी कुमार की लोकप्रियता में कितनी बढ़ोतरी हुई है।
नीतीश को उनके पुराने बयांन याद दिलाते हुए निशिकांत कुशवाहा ने लिखा, आप तो संघ मुक्त भारत बनाने वाले थे। अब संघ मुक्त भारत कैसे बनेगा? आपने जनता का विश्वास तोड़ा है। इसी को थूक कर चाटना बोलते हैं।
वहीं अशफाक हुसैन ने केजरीवाल से सीख लेने की सलाह देते हुए लिखा, वतन की फिक्र कर नादां, मुसीबत आने वाली है। तेरी बर्बादियों के मशवरे हैं.. आसमानों में..!!!
केजरीवाल की तरह हिम्मत दिखाते.. जनता को अपना फैसला देने का मौका देते..!!
जनमत का अपमान है यह दोगलापन.!! जय हिन्द..।
सोशल मीडिया पर नेता अक्सर अपनी तस्वीरें और विचार व्यक्त करते रहते हैं। जिसपर कभी उनकी तारीफ होती है तो कभी आम जनता विरोध भी करती नज़र आती है।
आपको बता दें कि, बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी के साथ सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देते हुए गठबंधन तोड़ दिया और भाजपा के साथ नई सरकार बना ली है।

Sunday, July 30, 2017

अमित शाह की 300 गुना संपत्ति बढ़ने वाली खबर मीडिया हाउसों ने डिलीट कर दी! (देखिए मेल)

लोगो का भरोसा कम होगया  हैं . आज की  मीडिया बिकाउु , दंडवत नहीं बल्कि "डागी" में बदल गया है. जी न्यूज़ चलाने वाले मैनेजमेंट को बाकायदा निर्देश मिले, जिसका उन्होंने बाकायदा पालन किया. बाद में सारे मीडिया ने किया.  निर्देश था कि काली दाढ़ी उर्फ़ अमित शाह की ३०० गुना संपत्ति वृद्धि की खबर तत्काल हर जगह (पोर्टल / टीवी आदि ) से हटा ली जाय.

5 साल में अमित शाह की संपत्ति में 300 फीसदी बढ़ोत्तरी की खबर Navbharat Times Online ने हटा क्यों दी है? कोई दबाव था क्या? दरअसल एक मेल आता है और अमित शाह की संपत्ति में 300% इजाफे की खबर गायब कर दी जाती है। मेरे मीडिया हाउस में ऐसा कोई मेल नहीं आया। मुझे किसी और मीडिया हाउस के पत्रकार ने सबूत के तौर पर वो मेल दिखाया है। उस मेल में साफ तौर पर लिखा गया है कि अमित शाह वाली खबर नहीं चलानी है। अगर खबर चला दी गई है तो उसे हटाया जाए। टाइम्स ऑफ इंडिया, नवभारत टाइम्स, आउटलुक, दैनिक भास्कर, ZEE etc. etc. सबने अमित शाह की संपत्ति में तीन गुना उछाल वाली खबर हटा ली। सीधा कहें तो लगभग सारे न्यूज पोर्टल ने खबर हटा ली है। चैनल वालों ने दिखाया ही नहीं तो हटाने की बात कौन करे? अब भी कोई बोलेगा कि भारत में EMERGENCY जैसे हालात नहीं हैं?

कल ज़ी न्यूज़ ने ऑनलाइन डेस्क को मेल किया कि अमित शाह वाली ख़बर मत लगाइए और अगर लगा दी है तो तत्काल हटा दीजिए। मेरे पास वो मेल है। हम जानना चाहते हैं कि ज़ी न्यूज़ को किसने ख़बर हटाने को कहा? जब ख़ुद अमित शाह अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे रहे हैं तो आपत्ति क्या है? ख़बर हटाने से अब हम लोगों को लग रहा है कि अनैतिक तरीके से अमित शाह ने पैसे कमाए। इस तरह अमित शाह की बदनामी कर दी मीडिया वालों ने। मीडिया को अमित शाह की संपत्ति वाली ख़बर नहीं हटानी चाहिए थी। कोई भ्रष्टाचार से थोड़ी उन्होंने पैसे बनाए हैं! ईमानदार पार्टी के अध्यक्ष हैं। ख़बर हटाने के बाद लोगों को शक हो रहा है कि उन्होंने ग़लत तरीके से पैसे बनाए हैं। मीडिया ने उनकी छवि ख़राब कर दी। लोगों को लग रहा है कि दबाव में मीडिया ने ख़बर हटाई। इस तरह मीडिया ने ख़ुद की छवि भी ख़राब की और माननीय अमित शाह की भी।

अमित शाह की संपत्ति वाली खबर इसलिए हटाई गई क्योंकि उनके रसूख को देखते हुए ये छोटा सा आंकड़ा उनको शर्मसार कर रहा था!! अमित शाह ही क्यों.. बीजेपी के सभी मंत्रियों और सांसदों की संपत्ति का आंकड़ा भी निकालकर पेश किया जाना चाहिए। विपक्ष और मीडिया का काम और है ही क्या ? छापकर खबर हटाना तो और भी गलत है। अमितशाह ने अहमदाबाद में संपत्ति के बारे में हलफनामा पेश किया है। कोई भी उस हलफनामे के आधार पर खबर छाप सकता है। जिनके पास ये खबर चलाने के अधिकार हैं उनको अपना फर्ज़ निभाना चाहिए.. कपिल शर्मा और राजनीतिक उठापटक की खबरें बेचने में कौन सी बहादुर पत्रकारिता है? पत्रकारिता के सम्मान बांटने वालों को भी अपने मानक थोड़े सख्त करने की ज़रूरत है।

Sanjaya Singh : अमित शाह की संपत्ति में 300 फीसदी इजाफे वाली ख़बर मीडिया से गायब! अखबारों और बेवसाइटों ने अमित शाह की संपत्ति में 300 प्रतिशत इजाफे की खबर हटा ही नहीं ली आज के अखबारों में अमित शाह का यह बयान छपा है कि, "देश में लगातार बढ़ रही है भाजपा की ताकत"। पुराने समय में ऐसे दावे करते ही, सवाल पूछे जाते थे। कोई भी पूछ लेता था कि ऐसी खबर आई थी, हटा ली गई आप क्या कहेंगे। उनका जवाब हो सकता था, खबर गलत थी, मैंने शिकायत की थी। इसलिए हट गई होगी। सही स्थिति इस प्रकार है .....। यह भी बकवास होता, पर छपता। पाठक निर्णय करता। मुमकिन है समझ जाता, नहीं भी समझता। पर ईमानदारी के इस जमाने में, अब आपको खबर नहीं दी जाती। पकी-पकाई राय दी जाती है। भाजपा लगातार मजबूत हो रही है - बंगारू लक्ष्मण वाली भाजपा की तरह नहीं अमित शाह की भाजपा की तरह, (जो तड़ी पार रह चुके हैं)।

Sangwan : संपत्ति बढ़ने की खबर तक दबा दी गयी तो भ्रष्टाचार की ख़बर कौन दिखायेगा। ये सरकार बहुत ईमानदार है भाई।

अंकित जाधव: अमित शाह की सम्पत्ति वाली ख़बर को 24 घण्टे से ऊपर हो गए लेकिन अब तक इस पर विपक्ष के किसी नेता की कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई? फिर 10 हज़ार कमाने वाले पत्रकार अपनी नौकरी दांव पर क्यों लगाए? जब सब नरेंदर से डरते है तो एक ख़बर की वजह से कोई अपनी रोजी - रोटी क्यों गंवाए? इन सब के लिए मीडिया को गरियाने वाले तेलचट्टो जरा अपने नेताओं से पूछो की उनकी कौन सी फ़ाइल अमित शाह की टेबल पर है,जो वो चुप है? मीडिया में जो बहादुर लोग थे,उन्होंने ख़बर बनाई। जो नरेंदर से डरते है,उन्होंने ख़बर हटा दी। इसके साथ ही मीडिया का काम भी खत्म हो गया। अब जो भी करना है विपक्ष को करना है। तभी कोई पत्रकार इस ख़बर पर काम करने का अधिकार भी रखता है।

सौजन्य : फेसबुक

Saturday, July 29, 2017

नीतीश पर शिवसेना का वार: मोदी-शाह ने विपक्ष से पीएम का चेहरा छीन लिया..

बिहार के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर शिवसेना के मुखपत्र सामना में बीजेपी पर हमला बोला गया है. शिवसेना ने इस संपादकीय में कहा कि आज राजनीति में नैतिकता और आदर्शों का कोई मतलब नहीं रह गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष से प्रधानमंत्री का चेहरा छीन लिया है.

‘सामना’ में शिवसेना ने कहा, ‘ ‘अमित शाह ने पहले कहा था कि यदि नीतीश कुमार की जीत होती है तो पाकिस्तान में जश्न मनाया जाएगा. तो पाकिस्तान अब जश्न मना रहा है.’'

शिवसेना ने कहा,

ऐसा लगता है कि बीजेपी ने नीतीश के साथ गठबंधन करके खुद ही पाकिस्तान को खुश कर दिया है.
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पार्टी ने कहा कि एनडीए को पुराना दोस्त वापस मिल गया है, लेकिन नीतीश ने जब एनडीए छोड़ा था, उस वक्त मोदी पर काफी कीचड़ उछाला था. केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में शामिल शिवसेना ने कहा, ' 'वह कीचड़ अब धुल गया क्या ? ' '

सिर्फ दो साल में, जब मोदी एक के बाद एक कर सारे चुनाव जीत रहे हैं, नीतीश कुमार की अंतरात्मा अचानक जागी और वह एनडीए में शामिल हो गए. राजनीति में अब आदर्शों और नैतिकताओं का कोई मतलब नहीं रह गया है.

-सामना
शिवसेना ने कहा कि बीजेपी ने मणिपुर और गोवा में बहुमत नहीं होने के बाद भी सरकारें बना ली. बीजेपी को अपनी अंतरात्मा से पूछना चाहिए कि अगर दिल्ली में उसकी सरकार नहीं होती तो क्या यह संभव हो पाता?

शिवसेना ने कहा कि बीजेपी को नीतीश कुमार से तत्काल पूछना चाहिए कि गौरक्षकों की हिंसा पर उनकी क्या राय है.

Thursday, July 27, 2017

चीनी सामान का बहिष्कार, भारत को फायदा कम नुकसान ज्यादा?

भारत समेत दुनियाभर के बड़े बाजारों में अपना एकछत्र राज बनाने वाले चीन को सबक सिखाने के लिए चीनी सामानों के बहिष्कार की मांग उठती रहती है। भारत में दक्षिणपंथी संगठन भी समय-समय पर इस मांग को दोहराते रहते हैं। चीन के साथ भारत के संबंधों में आई हालिया खटास के बाद एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा में है। चीनी माल के बहिष्कार की मांग करने वाले वर्ग का मानना होता है कि इससे चीन पर दबाव बनाया जा सकता है। हालांकि चीनी माल के बहिष्कार से भारत को फायदा कम नुकसान ज्यादा होगा।
पाकिस्तान से चीन की नजदीकियां और सिक्किम बॉर्डर पर भारत और चीन की सेनाओं के आमने-सामने आने के बाद आरएसएस से जुड़े कई संगठनों ने चीनी सामान का बहिष्कार करने की मांग दोहराई है। 8 और 9 जुलाई को आगरा में भारत-तिब्बत सहयोग मंच और कई आरएसएस समर्थकों ने चीनी सामान के बहिष्कार करने का संकल्प लिया।

व्यापार घाटा
भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा पिछले साल बढ़कर 46.56 बिलियन डॉलर (3 लाख करोड़ रुपए) तक जा पहुंचा। चीन का भारत में निर्यात पिछले वित्त वर्ष 58.33 बिलियन डॉलर था। 2015 के मुकाबले निर्यात में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दूसरी तरफ भारत का चीन में निर्यात 12 प्रतिशत गिरकर 11.76 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा। दो देशों के बीच आयात और निर्यात का अंतर ही व्यापार घाटा होता है। भारत का फार्मा उद्योग चीन से आयात होने वाले ड्रग्स पर बहुत अधिक निर्भर है। ऐसे में अगर एकदम से भारत के बाजारों से चीनी माल गायब हो जाता है तो उसका असर आम आदमी पर भी पड़ेगा क्योंकि सस्ते चीनी सामान का सबसे बड़ा उपभोक्ता वर्ग वही है।

चीन का निर्यात
अब सवाल यह है कि अगर भारत में चीनी सामान का बहिष्कार हो जाता है तो उससे चीन के कुल निर्यात पर क्या असर पड़ेगा। चीन के कुल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत है। साफ है कि अगर चीनी माल का भारत में बहिष्कार हो भी जाता है तो उससे चीन की अर्थव्यवस्था पर इतना असर नहीं पड़ेगा जिसके दबाव बना कर भारत अपनी बात मनवा सके। हालांकि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन भारत जैसा बाजार खोना नहीं चाहेगा।

तो क्या बहिष्कार बेकार आइडिया है?
भले ही चीनी माल के बहिष्कार का वहां की अर्थव्यवस्था पर तुरंत कोई असर न पड़े लेकिन इसका असर बाद में जरूर दिखेगा। चीन 21वीं सदी की महाशक्ति में रूप में उभर रहा है साथ ही वह खुद को जिम्मेदार अर्थव्यवस्था दिखाने की कोशिश करता है। चीन यह नहीं चाहेगा कि भारत जैसी उभरती महाशक्ति को वह खो दे। चीन के महाशक्ति बनने के सपने को 'वन बेल्ट वन रोड' के जरिए समझा जा सकता है। इसके जरिए चीन आर्थिक तरीके से दुनिया पर राज करने का प्लान बना रहा है। साफ है कि बहिष्कार जैसे कदम उठाने से बेहतर यह होगा कि भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान दे और आर्थिक रूप से ही चीन को टक्कर दे।

Wednesday, July 26, 2017

आने वाले दिनों में मोबाइल ग्राहकों को जमकर फायदा होने वाला है, जियो के बाद कंपनियों का जबर्दस्त ऑफर..

भारतीय बाजार में जियो के सस्ते फोन के ऐलान के बाद टेलीकॉम कंपनियों में खलबली  मच गई है।  कंपनिया जियो के मुकाबले के लिए तैयार हो रही हैं और इसका फायदा सीधे ग्राहकों को मिलने वाला है। आइडिया और एयरटेल जियो को टक्कर देते नजर आएंगी। आइडिया और वोडाफोन भी एक होने वाले हैं।
वोडाफोन-आइडिया अपने शेयर मिला रही हैं और एक बड़ी कंपनियों की तरफ इशारा करते हुए हैं।
वोडाफोन-आइडिया के मर्जर को सीसीआई की हरी झंडी मिल गई है। इस विलय के बाद वोडाफोन-आइडिया देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम बनेगी।
वोडाफोन का नई कंपनी में 45 फीसदी हिस्सा होगा, जबकि नई कंपनी में आइडिया की 26 फीसदी हिस्सेदारी होगी। जियो के मुफ्त ऑफर सामना कर रही दूरसंचार सेक्टर को सरकार ने राहत देने का फैसला किया है। खबरों के मुताबिक दूरसंचार विभाग को 16 साल किस्तों को चुकाने के लिए मिले हैं। इसके अलावा ब्याज दरों में कटौती और पीएलआर को एमसीएलआर में भी बदलने का विचार किया जा रहा है।
कंपनियों के लाभ का फायदा उपभोक्ताओं को : इंटरक्नेक्ट यूजर चार्ज पर ट्राई अपना आखिरी फैसला देगा। अगर यह समय बढ़ाया गया तो दूरसंचार कंपनियों नकदी में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा मंत्री समूह स्पेक्ट्रम किश्तों में भुगतान किया जाना है, पर ब्याज दर कम करने पर विचार कर रहा है। इस समय यह 12 प्रतिशत ब्याज दर है, जो 8 प्रतिशत किया जा सकता है पर है। यदि ऐसा होता है तो कंपनियों को 20,000 करोड़ रुपए के लाभ होगा।

Wednesday, July 12, 2017

अपनी गर्लफ्रैंड या दोस्त केिसी का मैसेज पढ़ सकते हैं अपने फोन में, कुछ apps की मदद से..

इस दुनिया  में मनुष्य कुछ भी करना चाहता है
एक स्मार्टफोन हर व्यक्ति के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है और उसके बारे में हर व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने का एक तरीका भी है।
टेक्नोलॉजी एक ऐसी चीज है, जो वह काम भी कर सकती है जिसे शायद ही आपने कभी सोचा हो। आज गूगल प्ले स्टोर और एप स्टोर पर हजारों एप्स आपको मिल जाएंगे, इन्हीं में से एक ऐसा एप भी है, जिसकी मदद से आप अपने किसी भी दोस्त या साथी की चैट बिना उसे पता लगे पढ़ सकते हैं।

कैसे पढ़ें दूसरों के मेसेज?

दूसरों का मेसेज को अपने फोन में पढनें के लिए आपको जासूसी टेक्स्ट मेसेज एप इनस्टॉल करना होगा। गूगल प्ले स्टोर में एक ऐसा एप है जिसके जरिये आप ये काम कर सकते हैं। यह एप टारगेट डिवाइस में से सभी डाटा को चुरा लेता है। जिसे आप प्रदान की गई अपने एमपीपीएस क्रेडेंशियल्स को देकर आप किसी दूसरे फोन से एक्सेस कर सकते हैं। MySpy एप्लिकेशन आपको बताएगा कि आप किसी दूसरे फोन से मेसेज को कैसे पढ़ सकते है? इसके अलावा यह एप इसके सेंडर और रिसीवर का नाम भी आपको बताता है।

इसके अलावा भी आप दूसरे तरीके से किसी दूसरे के फोन के मेसेजेस को पढ़ सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ स्टेप फॉलो करने होंगे। आइये जानते हैं इसके बारे में..

ये है तरीका:

1. जिस फोन के मेसेज को आप पढ़ना चाहते हैं उसके लिए आपके पास उस फोन का IP एड्रेस का होना जरुरी हैं। हम एक आईफोन को हैक करने की कोशिश कर रहे हैं तो इसके लिए आपको कंटेंट कॉन्फिगरेशन इंफोर्मेशन का उपयोग करना होगा जो आपको सिक्योर फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल से कनेक्ट करेगा। जिसे SFTP नाम से भी जाना जाता है। यह नेटवर्क होस्ट के माध्यम से फाइलों को सुरक्षित स्थानांतरित करता है। यहां से आपका हैकिंग प्रोसेस शुरू होता है।

2. इसके बाद एक अज्ञात होस्ट की के द्वारा पॉप-अप आएगा, लेकिन चिंता न करें, ऐसा होने की संभावना है। पॉप-अप आपसे सर्वर से कनेक्शन प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने की अनुमति मांगता है। इसके बाद आपको 'OK' पर क्लिक करना होगा। इसके बाद हैकिंग प्रोसेस आगे बढ़ेगी।

3. यह स्टेप आपको पूर्ण निर्देशिका सूची प्रदान करता है जो आपको लक्ष्य फोन पर असीमित पहुंच प्रदान करता है। इसकी मदद से, आप डिवाइस के सभी इन्फॉर्मेशन जैसे कि लिस्टेड प्रोग्राम्स, फाइल साइज, उनकी विस्तारित रूट्स, सेटिंग्स आदि की जानकरी प्राप्त कर सकते हैं।

4. इस स्टेप में, आपको उस  massage डायरेक्टरी को पाने की कोशिश करनी होगी जिसमें टेक्स्ट मेसेज स्टोर रहते हैं। निर्देशिका का पथ कुछ इस तरह दिखाई देगा '/ प्राइवेट / वॉर / मोबाइल / लाइब्रेरी / एसएमएस'। जब आपको यह फाइल मिल जाए तो आप अपने डिवाइस पर इस फाइल को ट्रांसफर या डाउनलोड करने के लिए फाइल sms.db डाउनलोड कर सकते हैं।

5. जब यह फाइल आपके मोबाइल में डाउनलोड हो जाएं तो SQ लाइट ब्राउजर की मदद से टेक्स्ट डाटा बेस को ओपन करें और HOPP नाम के मेसेज को क्लिक करें।
और फिर देखे...

Wednesday, July 5, 2017

एंड्रायड स्मार्टफोन्स में कई ऐसे एप्स है जो पहले से इनस्टॉल होते हैं..

एंड्रायड स्मार्टफोन्स में कई ऐसे एप्स है जो पहले से इनस्टॉल होते हैं। ये गूगल एप्स होते है जो फोन में मौजूद होते है। इनमे से कई एप्स ऐसी होती है जो हमारे काम की नहीं होती लेकिन फिर भी हमारे स्मार्टफोन में मौजूद होती हैं। इन एप्स को आप अनइनस्टॉल या डिलीट भी नहीं कर सकते। आपको बता दें कि ये एप्स एंड्रायड ऑपरेटिंग सिस्टम का हिस्सा होते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि इन एप्स को हमेशा के लिए बंद भी कर सकते हैं।

कौन से है ये एप्स:

गूगल क्रोम, गूगल प्ले मूवीज, गूगल मैप्स, गूगल प्ले गेम्स, गूगल ड्राइव, गूगल प्ले म्यूजिक, गूगल फोटोज, यूट्यूब, गूगल डॉक्स, गूगल प्ले सर्विस, गूगल शीट, गूगल स्लाइड्स, गूगल जीमेल, गूगल प्ले स्टोर, गूगल ट्रांसलेटर, गूगल कैलेंडर, गूगल की-बोर्ड, गूगल हैंगआउट, गूगल डुओ, गूगल प्लस। ये कुछ ऐसे एप्स है जो एंड्रायड स्मार्टफोन्स में प्री-इनस्टॉल होते हैं।

कैसे करें स्टॉप?

1. गूगल के इन एप्स को स्टॉप या डिसेबल करने के लिए सबसे पहले फोन के सेटिंग में जाएं। सेटिंग में एप ऑप्शन में जाएं।
2. अब उस एप को ओपन करें जिसे आपको बंद या स्टॉप करना है।
3. उस एप के ओपन होते ही आपको नीचे फोर्स स्टॉप का ऑप्शन नजर आएगा। उस पर टैप करें। टैप करने पर आपको एक मैसेज आएगा जिसे आपको OK करना है।
4. अब वो एप स्टॉप हो जाएगा।
5. इसके बाद डिसेबल ऑप्शन पर क्लिक करें। ऑप्शन पर क्लिक करते ही आपको एक मैसेज आएगा वहां डिसेबल एप को चुनें।
6. अब आपका वो एप स्क्रीन से हट जाएगा।