Tuesday, June 23, 2020

मोबाइल से खत्म होता बचपन

आजकल के दौर में अक्सर अधेड़ या बुज़ुर्ग अपने बचपन के किस्से बड़े अच्छे से सुनाते है कि हमने यह किया है वो किया है, लेकिन आजकल ज़्यादातर बच्चे कभी भी अपने बच्चों या आने वाली पीढ़ियों को यह नहीं सुना पाएंगे कि हमने कंचे खेले है, गुल्ली- डंडा खेला है या फिर क्रिकेट फुटबॉल खेला है, क्योंकि जिस तरीके से हम खुद को मॉडर्न समझते है लेकिन मॉडर्न बिल्कुल भी नहीं है बल्कि हम आरामतलब इतने ज़्यादा बन चुके है जब बच्चा एक या दो साल की उम्र में होता है तो वो रोता है हम झट से मोबाइल निकालकर उसके सामने रख देते है या फिर उसको यूट्यूब पर कुछ दिखा देते है जिसको वो देखकर, सुनकर चुप हो जाता है फिर उसकी माँ को उसको दूध नहीं पिलाना पड़ता है जिससे सही मायनों में उस वक़्त माँ उसकी पेट की भूख की जगह दिमाग को शांत करके खत्म कर देती है जिससे बच्चा भूखा ही रह जाता है। उसका ध्यान पेट की जगह गेम या फिर मोबाइल पर चला जाता है और उसका शारीरिक विकास रुक जाता है। ऐसे ही धीरे-धीरे उस बच्चे की आदत बन जाती है और बीमारियां उसको घेरने लगती है इसकी पूरी जिम्मेदारी माँ-बाप की है हालांकि ज़्यादा ज़िम्मेदारी मां की ही है क्योंकि वही अपने बच्चे की भाषा को ज़्यादा समझती है पिता तो काम या फिर रोज़ी रोज़गार के लिए बाहर निकल जाता है। 

जब बच्चा तीन से पांच साल तक कि उम्र में आता है तो वो मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट पर गेम देखना शुरू कर देता है या फिर यूट्यूब के ज़रिए खेलने लगता है। जिसमे कुछ गेम ऐसे है जिसके कारण बहुत तेज़ी से बच्चों के दिमाग को गिरफ्त में ले लेते है और उनका दिमाग केवल गेम में ही रहता है और वो आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते है जैसे ब्लूव्हेल वाले गेम में हुआ था अनेक बच्चों ने आत्महत्या कर ली थी, उससे भी पहले देखे तो टी.वी सिरियल शक्तिमान के कारण भी ना जाने कितने बच्चों ने छत से छलाँग लगा दी और सोचा कि शक्तिमान उनको बचाने आएगा क्योंकि उन्होंने टीवी सीरियल में देखा है कि जब कहीं पर बच्चों को दिक्कत होती है वो शक्तिमान को याद करते है वो उसको बचाने आ जाता है। दरअसल हम कह सकते है कि बचपन का ज़हन बहुत साफ शफ्फाक होता है जिसको जैसे माहौल में ढालेंगे वो वैसे ही माहौल में खुद को बनाएगा....

मौजूदा दौर में जो मोबाइल गेम चल रहे है वो भी आजकल बच्चों की मानसिकता बदलने उनको क्रूर, निर्दयी, ज़ालिम बनाने में एक अहम किरदार अदा कर रहे हैं क्योंकि उसमें शिक्षा ही मारने पीटने की दी जा रही है जैसे पब्जी, फ्रीफायर, एलियन, बाहुबली, लास्ट कमांडो, न्यू पब्जी और मैनक्राफ्ट जैसे मोबाइल गेम बच्चों को नफसियाती तौर पर ज़ालिम बना रहा है क्योंकि इन गेमों में केवल मारने, घेरने, हथियार चलाने की ही डिजिटल शिक्षा दी जाती है उससे बचपन तो छीनता ही है, दिमाग भी ज़ालिमाना हरकतों की तरफ सोचता और आगे बढ़ता है, यह सच है हमें बच्चों को क्रिएटिव, इनोवेटर बनाना चाहिए उनकी सोचने की शक्ति बढ़ाना चाहिए लेकिन इन गेमों ने उनका बचपन ही छीन लिया उनकी सोचने समझने की शक्ति ही खत्म कर दी वो किसी भी बात पर जो उनको अच्छी ना लगे फौरन जवाब देते है जो कि हमारे संस्कारो के लिए अच्छा नहीं है। 

दूसरी तरफ, टिकटोक, लईकी, हीरो, विगो जैसे एप्प से भी बच्चों के ज़हन में गंदगी भर रही है क्योंकि ज्यादातर उसका कंटेंट ग़लत ही होता है जिससे बच्चे वैसा ही व्यवहार अपने घर के बड़े लोगो से करते है जिससे निश्चित ही उनका मनोविकार होता है और उनमें सहने की क्षमता खत्म होती है जो भावी पीढ़ियों के लिए सही नहीं है सरकार को सोचना चाहिए वो ऐसे गेम और गंदे कंटेंट जल्दी से हटाए और माँ-बाप बच्चों के हाथ से मोबाइल, टेबलेट वापस ले उनको ज़रूरत भर इस्तेमाल करने दे जिससे उनका मानसिक विकास हो, संस्कारवान बने और उनकी आंखों की हिफाज़त हो सके। 

इन गेम और वीडियो की वजह से सबसे ज़्यादा बच्चों की आंखों पर फ़र्क़ पड़ रहा है उनकी आंखें लाल रहती है सुबह उठते ही आंखों में कीचड़ होते है, आंखों की रौशनी कम हो रही है अगर बचपन मे ही आंखों की रोशनी चली जायेगी तो फिर आगे ज़िन्दगी कैसे गुज़रेगी इसको हमे सोचना पड़ेगा बच्चों के सर्वागीण विकास को करने के लिए हमें उनको सही डायरेक्शन में ले जाना होगा जिससे उनका बचपन बचाया जा सके.

अबसे कम से कम 20 साल पहले दादी, नानी, या जो घर के बुज़ुर्ग होते थे वो रात या शाम को सोते वक्त धार्मिक (रिलीजियस), सामाजिक  कहानियां सुनाकर बच्चों का मानसिक विकास करतीं थीं जिससे उनकी तरबियत होती थी आजकल के बच्चे हाथ में मोबाइल लेकर ही सो जाते है जैसे ही आंख खोलते है तो उनके हाथ में मोबाइल ही होता है। 

इस कंपटीटिव दुनिया में हमें बच्चों को मॉडर्न तो ज़हनी तौर से बनाना है लेकिन उनको अपनी तहज़ीब भी सिखानी है, दुनिया के साथ चलना भी सिखाना है ... .इंसान बनाने की जद्दोजहद में लग जाना चाहिए जिससे वो दुनिया और इंसानियत के लिए फायदेमंद हो सके। 

Thursday, May 28, 2020

China ki sajis corona वुहान की महामारी एक सोची समझी साजिश थी कैसे वुहान अचानक घातक वायरस से मुक्त हुआ?

👉दृश्य 1 :
पर्दा खुलता है: चीन बीमार हो जाता है, एक "संकट" में प्रवेश करता है और अपने व्यापार को पंगु बना देता है। पर्दा बंद हो जाता है।

👉दृश्य 2
पर्दा खुलता है: चीनी मुद्रा का अवमूल्यन होता है। वे कुछ नहीं करते। पर्दा बंद हो जाता है।

👉दृश्य 3
पर्दा खुलता है: यूरोप और अमरीका की कंपनियों के व्यापार में कमी के कारण इन कंपनियों के शेयरों के भाव गिर जाते है उनके मूल्य के 40% तक, जो चीन में स्थित हैं चीन कुछ नहीं करता है

👉दृश्य 4
पर्दा खुलता है: दुनिया बीमार है, चीन यूरोप और अमेरिका की कंपनियों के शेयर 30% से भी कम कीमत पर खरीद लेता है। जब दुनिया में इस बीमारी के कारण सारे व्यापार धंधे बंद पड़ जाते है, पर्दा बंद हो जाता है।

👉दृश्य 5
पर्दा खुलता है: चीन ने इस बीमारी को नियंत्रित कर लिया है और अब वह यूरोप और अमेरिका में कंपनियों का मालिक है। क्योंकि यहां व्यापार धंधे ध्वस्त हो चुके हैं और वह यह तय करता है कि ये कंपनियां चीन में रहें और $20,000 बिलियन कमाएं। पर्दा बंद हो जाता है। नाटक इसे कहा जाता है?

👉दृश्य 6
शह और मात
फिर से देखना लेकिन सच है
कल और आज के बीच दो वीडियो जारी हुए हैं, जिनसे मुझे कुछ संदेह हुआ, कोई जरूरी नहीं हो सकता हो यह सिर्फ मेरी अटकल हो। पर मुझे विश्वास है कि कोरोनो वायरस का जानबूझकर स्वयं चीन द्वारा फैलाया गया था। वो पहले से ही तैयार थे इस नाटक के शुरू होने के तीन हफ्ते में ही उन्होंने 12,000 बिस्तर वाले अस्पताल पहले से ही बनवा लिए कैसे? क्या वास्तव में उन्होंने इनका निर्माण दो सप्ताह में किया हो ही नहीं सकता वो उनका निर्माण पहले से ही कर चुके थे क्योंकि ये सब एक योजना का हिस्सा था।
उन्होंने घोषणा की कि उन्होंने महामारी को रोक दिया है। वे जश्न मनाते हुए वीडियो में दिखाई देते हैं, वे घोषणा करते हैं कि उनके पास एक टीका भी है। सभी आनुवंशिक जानकारी के बिना वे इसे इतनी जल्दी कैसे बना सकते हैं? पर यदि आप खुद ही इस नाटक के निर्माता हो तो यह बिल्कुल मुश्किल भी नहीं है। और आज मैंने सिर्फ एक वीडियो देखा जो बताता है कि कैसे जिन पिंग जो दुनिया के शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति है उसने पूरी दुनिया को बगैर किसी युद्ध के घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया कोरोना वायरस के कारण, चीन में पश्चिमी देशों की कंपनियों का कारोबार नाटकीय रूप से गिर गया जब दुनिया भर के स्टॉक एक्सचेंजों में इन कंपनियों के शेयर के भाव गिर गए तो उन्हें चीनियों द्वारा खरीद लिया गया। अब चीन, अमेरिका और यूरोप में इन्हीं एक्सचेंजों और अपनी पूंजी द्वारा यह डिसाइड करेगा कि बाज़ार का रुख केसा होगा, औेर कीमतों को निर्धारित करने में सक्षम होगा पश्चिम को अपनी जरूरत की हर चीज बेचने के लिए। क्या गजब की योजना?
हाँ इसमें संयोग से कुछ बूढ़े मर गए? कम उम्र के लोग भी मारे गए पर ना तो चीन को इसकी परवाह है और ना ही कोई बड़ी समस्या वो इनके परिजनों को थोड़े समय मुआवजे के रूप में पेंशन दे देगा, पर इसके एवज उसने कितनी बड़ी लूट की है। और अभी पश्चिम आर्थिक रूप से पराजित है, संकट में और बीमारी से स्तब्ध। और बिना कुछ जाने की यह सब एक योजना का हिस्सा है और बहुत ही सोच समझ कर बनाई गई परफेक्ट योजना।

👉अब चीन 1.18 ट्रिलियन होल्डिंग वाले जापान के बाद अमेरिकी खजाने के सबसे बड़े मालिक है।
अब देखिए इस नाटक के दूसरे किरदारों का रोल केसे रूस और उत्तर कोरिया में करोना नामक घातक बीमारी के केस इतने कम है जबकि वे तो चीन के सहयोगी है उनके आपस में आवाजाही भी ज्यादा है फिर भी कैसे उनके यहां करोना ने वैसा विकराल रूप नहीं दिखाया जैसा की अन्य अमेरिकी और यूरोपीय देशों में देखने को मिला

क्या इसलिए कि वे चीन के कट्टर सहयोगी हैं
दूसरी ओर संयुक्त राज्य अमेरिका/दक्षिण कोरिया/यूनाइटेड किंगडम/फ्रांस/इटली/स्पेन और एशिया गंभीर रूप से प्रभावित हैं

👉वुहान की महामारी एक सोची समझी साजिश थी कैसे वुहान अचानक घातक वायरस से मुक्त हुआ?

चीन का कहना है कि उसके द्वारा उठाए गए कठोर उपाय के कारण वुहान करोना मुक्त हो गया कैसे वो कौन से उपाय थे चीन ने उनका खुलासा नहीं किया चलिए हम इसको इस तरह से देखते है कि वुहान ही क्यों जो वायरस पूरी दुनिया में फेल गया वो वायरस चीन के दूसरे हिस्सों में क्यों नहीं फैला बीजिंग जो कि चीन की राजधानी थी वह इसका कोई भी असर देखने को क्यों नहीं मिला क्या एक संक्रमित बीजिंग तक नहीं पहुंचा जबकि पूरी दुनिया में संक्रमण फेल चुका है या फिर इस नाटक को सिर्फ वुहान के लिए रचा गया था क्या एक भी संक्रमित व्यक्ति ने नवम्बर से लेकर जनवरी तक वुहान से चीन के अन्य हिस्सों में यात्रा नहीं की जबकि इसके उलट ये संक्रमित दुनिया के लगभग हर कोने में पहुंच गए वो भी अच्छी खासी तादाद में केसे? क्यों?

बीजिंग में करोना से एक व्यक्ति नहीं मारा गया? और सिर्फ वुहान में हजारों
यह विचार करना और दिलचस्प है, की अब कैसे चीन ने इस पर काबू पा लिया उन्होंने इसका क्या इलाज किया और फिर अब उसे व्यापार के लिए खोल भी दिया आखिर कैसे जबकि दुनिया भर के डाक्टर इसका इलाज ढूंढ रहे हैं तो चीनियों ने केसे ये चमत्कार कर लिया
खैर
👉करोना को हमें व्यापार युद्ध में यूएसए द्वारा चीन की बांह मोड़ने की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए
👉अमेरिका और उपर्युक्त सभी देश आर्थिक रूप से तबाह हैं
जल्द ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था चीन की योजना के अनुसार ढह जाएगी।
चीन जानता है कि वह अमेरिका को सैन्य रूप से नहीं हरा सकता क्योंकि अमरीका वर्तमान में दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश है।
तो उसने यहां वाइरस का उपयोग किया जो कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रक्षा क्षमताओं को पंगु बना दें।
राष्ट्रपति ट्रम्प हमेशा से यह बताते रहे हैं कि कैसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था सभी मोर्चों पर सुधार कर रही थी और नौकरियां संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस आ रही थीं।
AMERICA GREAT AGAIN बनाने की उनकी दृष्टि को नष्ट करने का एकमात्र तरीका एक ECONOMIC HAVOC है।
चीन  मिलकर एक वायरस जारी करके ट्रम्प को नष्ट कर दिया जाए।
👉वुहान की महामारी एक सोची समझी साजिश थी।
आप ही सोचिए महामारी के चरम पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग उन प्रभावी क्षेत्रों का दौरा करने के लिए जाते वक़्त बस एक साधारण आरएम 1 फेसमास्क पहने हुए थे जबकि इटली में इस महामारी का इलाज कर रहे डाक्टर पूरी तरह कवर होने और सावधानी बरतने के बाद भी संक्रमित हो रहे है
राष्ट्रपति के रूप में उन्हें सिर से पैर तक ढंका जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं था क्यों? क्या इसीलिए की इस महामारी से होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान से बचने के लिए उन्होंने पहले से ही कोई टीका लगा रखा था इसका मतलब है की इस महामारी का इलाज पहले ही ढूंढ लिया गया था बाद में इस वायरस को फैलाया गया है शायद यह सब चीन की योजना थी

👉अब ECONOMIC COLLAPSE के कगार पर बैठे देशों से अधिकतर शेयर स्टॉक खरीदने के बाद विश्व अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की बाद में चीन यह घोषणा करेगा कि उनके मेडिकल शोधकर्ताओं ने वायरस को नष्ट करने का इलाज ढूंढ लिया है और इस तरह इस नाटक की समाप्ति की घोषणा हो जाएगी और बिना किसी युद्ध के चीन ने अपना साम्राज्य पूरी दुनिया में फैला दिया अब वह अपने देश में बैठे बैठे ही किसी भी देश की अर्थवयवस्था को हिला सकता है जैसा की अभी भारत ने मलेशिया के साथ किया था जब मलेशिया के राष्ट्रपति ने धारा 370 के खिलाफ बयान दिए थे उसके बाद भारत ने वहा के बाजार को हिलाकर रख दिया ऐसा ही अब चीन भी अपने सभी पश्चिमी गठबंधनों के साथ मिलकर विश्व की अलग देशों की अर्थव्यवस्था के साथ करेगा, और ये देश बहुत जल्द ही अपने नए मास्टर चीन के गुलाम हो जाएंगे भविष्य का युद्ध हथियारों से नहीं व्यापार से शेयर स्टॉक से लड़ा जाएगा और चीन ने इस विश्व युद्ध की शुरुआत कर दी है आपको हमें और देश को समझना होगा कि इस तरह के युद्ध में हमारी रणनीति क्या हो।

👉वुहान से शंघाई = 839 km
👉वुहान से बीजिंग = 1152 km
👉वुहान से मिलान = 15000 km
👉वुहान से न्यूयॉर्क = 15000 km
👉वुहान से ईटली= 8695km
👉वुहान से भारत= 3695 km
👉वुहान से ईरान = 5667 km
👉पास के बीजिंग/शंघाई में कोरोना का कोई प्रभाव नहीं
लेकिन इटली,ईरान,यूरोप देशों में लोगों की मृत्यु और पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था बर्बाद
चीन के सभी व्यापारिक क्षेत्र सुरक्षित
कुछ तो गड़बड़ है।