Thursday, August 8, 2019

मोदी-शाह ने क्या कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर गलत किया?

भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया है. आम आदमी से लेकर सेलेब्स तक ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया. वहीं कश्मीर के कथित रहनुमा कश्मीर के लोगों को यह कहकर बरगलाने की कोशिश करेंगे कि अनुच्छेद 370 हटने से कश्मीरियत खत्म हो जाएगी.समझदार मुसलमान भाइयो और कश्मीरियों के लिए लिख रहा हूं. आमतौर पर हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और तुम सिर्फ अभी एक पर फोकस कर रहे हो. कुछ पॉइंट्स में अपनी बात रखता हूं.
1. गोआ को भारत ने 1961 में सिर्फ 2 दिन में आज़ाद कराया. आज कोई दिक्कत है वहां?
2. उसके साथ दमन दीव नागर दादर हवेली भी आज़ाद हुए कोई दिक्कत है वहां?
3. हैदराबाद भी मिलाया गया कोई दिक्कत है वहां? और इन सब जगहों पर पावर का इस्तेमाल किया गया था, मतलब ताक़त से जीता था, क्या उनके साथ कोई अन्याय हुआ?
4. जूनागढ़ वगैरह में भी सब ठीक है और ये आप भी जानते हो.

अब यही कहना है कि कश्मीर के मामले में तो फिर भी संवैधानिक तरीका इस्तेमाल किया गया है. तो क्या गलत करेंगे हम तुम? अब ये भी समझो कि नेपोलियन के बाद जर्मनी में 300 ऐसी ही रियासतें थीं जो एक साथ आई तो जर्मनी सुपर पावर बना और वहां आज भी कोई दिक्कत नही.

मतलब सब ठीक ही है और होगा भी. अब सवाल ये की क्या ये जरूरी था? तो सुनों अगर ऐसा नही होता तो कश्मीर की वो लोकेशन है कि उसको साथ रखना उतना ही जरूरी है जितना बॉर्डर पर बीएसएफ के होना.
दूसरा यू एन ओ में जो तय हुआ था कबायली हमले के बाद में तो वो ये था के दोनों देश सेना हटाये और फिर जनमतसंग्रह यू एन कराएगा. पर पाकिस्तान ने पीओके छोड़ने से इनकार किया. वो फौज नहीं हटेगी तो हम कैसे हट जाते? हमला उनका था 60 परसेंट कश्मीर पीओके बन गया है, कैसे हट जाते? कबायलियों ने जो उस वक़्त नरसंहार किया पीओके में वो दहला देगा पढ़कर देखो.
अब सवाल ये की क्या हम यूएन के जनमतसंग्रह का इंतज़ार करते? किया पूरे 70 साल किया. कश्मीर में किसी राज्य के किसी आदमी को नहीं बसने दिया, पर पाकिस्तान ने क्या किया पीओके की पूरी आबादी का 60 फीसदी पाकिस्तानियों से बदल दिया. अब कैसे होगा जनमतसंग्रह? और कश्मीर में 370 और 35 का फायदा किसे हो रहा था, ऐसा नहीं हो सकता आपको पता न हो.
तो जो हुआ वो बनता है. कश्मीरी पंडित क्यों नहीं टिके जन्नत में, सिर्फ इसलिए कि वो माइनॉरिटी थे वहां और बहुत अमीर थे? रोना सिर्फ कुछ अलगाववादियों का बनता है, और वो रोयेंगे ही. दुकान उनकी लूटी है. पर कुछ लोग इसको ऐसे दिख रहे हैं जैसे इस्लाम खतरे में हो.
आखिरी बात कश्मीर में हमारा काम से कम महाराजा हरि सिंह से कोई विलय का एग्रीमेंट तो था. बलूचिस्तान का क्या? वो मुसलमान नहीं? पाकिस्तान का वह कब्ज़ा और कश्मीर में आज़ादी की लड़ाई? वाह! और पाकिस्तान अगर मुसलमानों का इतना बाद दोस्त है तो वो चीन के उइगेर मुसलमानों की बात क्यों नहीं करता जहां वो दाढ़ी भी नहीं रख सकते, न खुले में नमाज़ पढ़ सकते हैं. सोचना आपको जवाब मिल जाएगा.
(यह मेरा निजी विचार हैं)
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