Sunday, March 6, 2022

चौधरी चरण सिंह के साहसिक कार्य, जिनके कारण बने किसानों के मसीहा

चौधरी चरण सिंह के साहसिक कार्य, जिनके कारण बने किसानों के मसीहा

 पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था. उनके पिता एक बेहद साधारण किसान थे. चौधरी चरण सिंह ने साल 1926 में मेरठ से कानून में डिग्री (Law degree) ली और गाजियाबाद से वकालत की शुरुआत की. वह अंग्रेजों से देश को आजाद कराने की लड़ाई में जेल भी गए. गौरतलब है कि चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते रहे हैं, इसलिए उनके द्वारा किए गए कामों के बारे में जान लेते हैं.

 National Farmers Day पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था. उनके पिता एक बेहद साधारण किसान थे. चौधरी चरण सिंह ने साल 1926 में मेरठ से कानून में डिग्री (Law degree) ली और गाजियाबाद से वकालत की शुरुआत की. वह अंग्रेजों से देश को आजाद कराने की लड़ाई में जेल भी गए. 
गौरतलब है कि चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते रहे हैं, इसलिए उनके द्वारा किए गए कामों के बारे में जान लेते हैं. चौधरी चरण सिंह के साहसिक कार्य और घटनाक्रम (Chaudhary Charan Singh's daring task and Events) संविधान बनाने वालों (Constitution maker) को जिन अहम मुद्दों से जूझना पड़ा, उनमें से एक भारत का सामंती सिस्टम था, जिसने देश की आजादी से पहले सामाजिक स्थिति (social status) को बुरी तरह चोट पहुंचाई थी. उस समय जमीन का मालिकाना हक (Land ownership) कुछ ही लोगों के पास था, जबकि बाकी लोगों की जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती थी. इस असमानता को खत्म करने के लिए सरकार कई भूमि सुधार कानून (Land reform bill) लेकर आई, जिसमें से एक जमींदारी उन्मूलन कानून (Zamindari abolition law) 1950 भी था. 

चौधरी साहब 1951 में सूचना एवं न्याय मंत्री (Minister of Information and Justice) बने और तीन महीने बाद ही कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) भी उनके अधीन आ गया. सामंतशाही ताकतों ने पटवारियों की शरण ली. फिर से किसानों की जमीन को धोखे से जमींदारों को दिया जाने लगा. इस पर चौधरी चरण सिंह ने उन्हें कड़ी चेतावनी दी जिसके रोष में हजारों पटवारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफे दे दिया. 

सामंतवादी ताकतों को विश्वास था कि सरकार को उनके सामने घुटने टेकने पड़ेंगे, लेकिन चौधरी साहब के दृढ़ निश्चय ने उनका साहस तोड़ दिया. पटवारियों के सभी समूहिक त्याग पत्र (resignation letter) स्वीकार कर उनके स्थान पर लेखपालों की भर्ती कर दी गई. एक जुलाई 1952 को यूपी में उनकी बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन जमींदारी उन्मूलन विधेयक द्वारा किया गया. जिससे किसानों और गरीबों को उनका अधिकार मिला. इसके बाद 1954 में योजना आयोग (Planning Commission) ने आदेश जारी किया कि जिन जमींदारों के पास खुद खेती के लिए जमीन नहीं है, उनको 30 से 60 फीसदी भूमि लेने का अधिकार है. चौधरी साहब ने इसमें भी हस्तक्षेप (Interference) किया और ये कानून उत्तर प्रदेश में लागू नहीं हुआ. मगर अन्य प्रदेशों में योजना आयोग के इस आदेश की आड़ में गरीब किसानों से भूमि छीन ली गई. इसके बाद 1956 में चौधरी चरण सिंह ने जमींदारी उन्मूलन एक्ट (Zamindari Abolition Act) में यह संशोधन किया गया कि कोई भी किसान भूमि से वंचित नहीं किया जाए, जिसका किसी भी रूप में जमीन पर कब्जा हो. ये ऐसा साहसी कार्य था जिसकी सराहना देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में की गई थी. गरीब किसानों को जमींदारों के शोषण से मुक्ति दिलाकर उन्हें भूमिधर बनाने वाला यह कानून बनाया. 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद चौधरी चरण साहब केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की. 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) की स्थापना की. नाबार्ड वहीं संगठन है जो कृषि क्षेत्र के विकास में बैंक की बड़ी भूमिका निभाता है. 

चौधरी चरण सिंह ने जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में काम किया. चूंकि भूमि राज्य का विषय है, इसलिए अधिकतर राज्यों ने जमींदारों को भूमि के एक हिस्से पर खेती करने और उसे अपने पास रखने की इजाजत दी, मगर जमींदारों ने इसका भी फायदा उठाया और भूमि पर खुद खेती करनी शुरू कर दी ताकि राज्य सरकार उनसे जमीन वापस न मांग सके. बाद में आर्टिकल 31(a), 31(b) और नौंवा शेड्यूल संविधान में जोड़े गए, इन आर्टिकल्स से जमींदारों को कानूनी सलाह लेने से रोका गया और सरकार के संसोधित कानूनों को चुनौती देने से भी रोका गया, साथ ही राज्य सरकारों को कानून बनाने या किसी की संपत्ति या जमीन का कब्जा करने का अधिकार भी मिल गया. जमींदारी उन्मूलन कानून से पहली बार बेगारी या बंधुआ मजदूरी को कानूनन अपराध के दायरे में लाया गया. उन्होंने सहकारी कृषि एवं जमींदारी उन्मूलन पर पुस्तकें भी लिखीं, जिनकी सराहना दुनिया भर में की गई और की जा रही है. भारत सरकार (Govt of India) द्वारा साल 2001 में 23 दिसंबर को चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस पर राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मनाने का फैसला किया गया.


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