Saturday, May 13, 2017

बिना सामने आए ही आपकी जेब साफ कर देते हैं ये शातिर अपराधी

लगातार बढ़ते साइबर हमलों से न सिर्फ देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है बल्कि आपके मेहनत के कमाए पैसों को भी नजर लग रही है। साइबर अटैक के शातिर खिलाड़ी इन्हें बड़ी चतुराई के साथ अपनी जेब में डाल रहे हैं। सभी देश इससे बचने के उपाय कर रहे हैं। भारत में भी इसको लेकर बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। इस तरह के हमलों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों के आईटी सिस्टम की एथिकल हैकिंग का फैसला भी लिया है। इस पर काम कर रही टीम का अहम मकसद बैंकों के आईटी सिक्यॉरिटी सिस्टम में खामियों का पता लगाना होगा। किसी तरह की खामी सामने आने पर इसके उपाय भी सुझाए जाएंगे।

ताजा मामला

ब्रिटेन, अमेरिका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम समेत दुनिया के करीब 99 देशों में कुछ संगठनों पर साइबर हमला हुआ है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) इससे बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और मरीजों के ऑनलाइन रिकॉर्ड पहुंच के बाहर हो गए हैं। इन हमलों के बाद एक प्रोग्राम ने हजारों जगहों के कंप्यूटर्स लॉक कर दिए और पेमेंट नेटवर्क 'बिटकॉइन' के ज़रिये 300 Bitcoin  (1 Bitcoin = 1705.9900 US dollars)  की फिरौती मांगी गई है।
एक मेल का ही खेल है साइबर अटैक

इस वाइरस हमले की शुरुआत एक सामान्य ई मेल से होती है जो पर्सनल या ऑफिशियल मेल पर किया जाता है। अधिकतर मामलों में इस मेल में वर्ड की फाईल अटैच होती है जिसको देखने के लिए डाऊनलोड किया जाता है। इसके अलावा इसमें इमेजेस, ग्रीटिंग कार्ड या पाइरेटेड सॉफ्टवेयर, ऑडियो और वीडियो फाइल्स के जरिये भी दूसरे कंप्यूटर को हैक करने के लिए वायरस भेजा जा सकता है। दरअसल, इसी तरह के अटैचमैंट हैकर्स के लिए काम करता है। यह वाइरस सक्रिय होकर सूचनाएं हैकर्स को भेजने लगता है और अापको कानों कान खबर भी नहीं हो पाती है।

छोटे से प्रोग्राम के बड़े नुकसान

कंप्यूटर वायरस एक छोटा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है, जो एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फैलता है और कंप्यूटर की वर्किंग में बाधा बनता है। यह कंप्यूटर में डेटा फीड को चोरी कर सकता है। इससे हार्ड डिस्क में मौजूद डेटा को खतरा रहता है। इसके लिए इमेल्स का प्रयोग होता है। अक्सर किसी अंजान नाम से ईमेल आता है, इन्हीं मैसेज में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो जानकारी हैक कर लेते है। इसलिए, आपको तब तक कभी भी किसी ईमेल को नहीं खोलना चाहिए, जब तक आपको पता न हो कि संदेश किसने भेजा है।

मौके पर अपराधी की मौजूद जरूरी नहीं

तकनीकी तौर पर किए गए इस तरह के साइबर अटैक में अपराधी को वहां पर मौजूद होने की भी जरूरत नहीं होती है। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाला कोई भी कहीं भी इस हमले का शिकार हो सकता है। इस तरह के हमले का शिकार होने की बड़ी वजह यह भी है कि ज्यादातर इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोग ऑन लाइन सुरक्षा पर उतना खर्च नहीं करते हैं जितना की किया जाना चाहिए। वहीं मौजूदा दौर में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन समेत कई सारी चीजें हमारी रोजमर्रा का हिस्सा बन गई हैं। अब बैंक और सरकार भी ऑनलाइन के जरिए लेन-देन का प्रचार करती हुई दिखाई देती है। ऐसे में इसकी सुरक्षा काफी अहम हो जाती है।

कानूनी प्रावधान

भारत सरकार ने 2000 में आईटी एक्ट बनाया और 2008 में इसे संशोधित भी किया गया। साइबर क्राइम से निपटने के लिए आईटी एक्ट में वेबसाइट ब्लॉक करने तक के प्रावधान हैं। आईटी टेक्नोलॉजी 2000 के तहत कानूनी प्रावधान है जिसमें सेक्शन 69 के अनुसार कम्प्यूटर द्वारा कोई भी अपराध साइबर क्राइम में आएगा जिसमें सात साल की जेल भी हो सकती है।

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