Monday, August 14, 2017

2019 नहीं अगले साल ही मोदी सरकार विधानसभाओं और लोकसभा चुनाव के साथ-2 करा सकती है..

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक ढ़ांचा है, देश में हर वक्त कहीं ना कहीं चुनाव चल रहे होते हैं. यही वजह है कि कई बार विभिन्न चुनाव एक साथ करवाए जाते हैं. देश के संविधान में इस बात की इजाजत है कि चुनाव आयोग अपनी सुविधानुसार चाहे तो चुनाव ‘समय पूर्व’ करवा सकता है. आगामी चुनाव की खबरों पर विश्वास करें तो अगले साल के अंत में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही साथ 2019 के लोकसभा चुनाव भी करवाए जा सकते हैं.

अंग्रेजी अख़बार के हवाले से यह खबर सामने आई है कि सरकार देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की संभावना पर विचार कर रही है। कई बार इसकी मांग की जाती रही है। चर्चा चल रही है, जो एक अनौपचारिक प्रक्रिया का हिस्सा है। इससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव साथ कैसे करवाए जा सकते हैं।

प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग की अपील अगर तमाम राजनीतिक दल मान लेते हैं और समयपूर्व लोकसभा चुनाव पर वे एकमत हो जाते हैं तो कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी एकसाथ हो सकते हैं. दरअसल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम की विधानसभाओं का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2018 में समाप्त हो रहा है. इसके अलावा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में भी विधानसभा चुनाव इन प्रस्तावित चुनावों के साथ करवाए जा सकते हैं. इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अप्रैल 2019 तक है. माना जा रहा है कि अगर इस प्रक्रिया को अगले लोकसभा चुनावों से लागू कर दिया जाए तो 10 साल में ज्यादातर राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होंगे.

अब अगर यह संभव होता है तो लोकसभा चुनाव तय समय से छह महीने पहले ही हो जाएंगे। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस राजनीतिक परिवर्तन को समझने के लिए लोकसभा के पूर्व सेक्रटरी जनरल सुभाष सी कश्यप और कई सचिवों की राय जानने की कोशिश की जा रही है। जबकि मौजूदा प्रावधान, जिसके अनुसार चुनाव तय समय से छह महीने पहले तक करवाए जा सकते हैं, की जांच की जा चुकी है। इसके अनुसार इसमें बदलाव के लिए संविधान में संशोधन जैसे जटिल रास्तों की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजनीतिक रूप से आम सहमति बनाने की होगी।

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